मोदी का एशिया दौरा: अमेरिकी टैरिफ तनाव के बीच नई साझेदारियों की तलाश

 मोदी का एशिया दौरा: अमेरिकी टैरिफ तनाव के बीच नई साझेदारियों की तलाश


मेटा डिस्क्रिप्शन


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एशिया दौरा अमेरिकी टैरिफ तनाव के बीच नई साझेदारियों को मजबूत करने के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। जानिए इस दौरे के प्रमुख बिंदु।


परिचय


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एशिया दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में हलचल है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में लागू किए गए टैरिफ ने भारतीय निर्यातकों के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। इस पृष्ठभूमि में मोदी का यह दौरा न केवल आर्थिक बल्कि भू-राजनीतिक दृष्टि से भी अहम है।


दौरे का उद्देश्य


इस दौरे का मकसद है:


नए निवेश आकर्षित करना


टेक्नोलॉजी सहयोग को बढ़ावा देना


अमेरिकी टैरिफ के असर को कम करना



सरकार मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और ग्रीन एनर्जी जैसे अभियानों के लिए विदेशी निवेश पर जोर दे रही है।


अमेरिकी टैरिफ का असर


हाल में अमेरिकी प्रशासन ने भारत से आयातित उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाए:


स्टील: 20%


टेक्सटाइल: 15%


फार्मा: 10%



इससे भारत को वैकल्पिक बाजारों की तलाश करनी पड़ी है।


जापान के साथ साझेदारी


जापान के साथ 68 बिलियन डॉलर का निवेश समझौता होने की संभावना है। निवेश निम्न क्षेत्रों में होगा:


हाई-स्पीड रेल


ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी


इलेक्ट्रिक व्हीकल्स


आईटी और सेमीकंडक्टर्स



चीन के साथ संतुलन


भारत और चीन के बीच तनाव के बावजूद व्यापारिक सहयोग की संभावना है:


इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स


5G टेक्नोलॉजी



रूस के साथ ऊर्जा समझौते


रूस भारत को सस्ता क्रूड ऑयल उपलब्ध कराएगा। इसके अलावा न्यूक्लियर एनर्जी और रक्षा सहयोग पर भी चर्चा होगी।


भू-राजनीतिक संकेत


भारत बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है।


निष्कर्ष


मोदी का एशिया दौरा भारत के लिए नए अवसर खोल सकता है। जापान, चीन और रूस के साथ साझेदारी भारत की आर्थिक मजबूती को बढ़ाएगी।

Publisher:- Satish Gupta 

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